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पुलिस जांच में सामने आया कि मृतक प्रताप के उस कमरे में कहीं वेंटीलेशन नहीं था। न कहीं से हवा के आने जाने का रास्ता। वहां एक छोटी खिड़की के अलावा कुछ नहीं था। उस खिड़की को भी पर्दे से ढककर पैक कर दिया गया था। घर में बिजली भी नहीं है। कहा जा रहा है कि शादी के कुछ ही दिन पहले कमरे की पुताई की गई थी। जिसकी तेज केमिकल वाली गंध अभी भी आ रही थी। बताया जा रहा है कि तेज गर्मी और नए पेंट की गंध से वहां रुकना भी मुश्किल था। ऐसे में अंदाजा लगाया जा रहा है कि इसी वजह से दम घुटने से दोनों की मौत हुई होगी। हालांकि डॉक्टरों के पोस्टमार्टम में हार्टअटैक मौत की वजह बताई गई है। Deltin7 Rummy Culture Com, खबरों के मुताबिक फायरिंग में एक पुलिसवाले को भी गोली लगी है। संजीव जीवा बह्मदत्त मर्डर केस में आरोपी था। फायरिंग में एक बच्ची और महिला भी घायल हुर्अ है।
कुछ डांट का, कुछ प्यार सा, खट्टा मीठा रिश्ता हमारा, Deltin7 भारतीय खेल सट्टेबाजी Betway Online So Many Games - The Online Casino has it All! आज विश्व पोहा दिवस है। भारत में हर साल 7 जून को विश्व पोहा दिवस मनाया जाता है। पोहा दिवस को ही विश्व पोहा दिवस के रूप में भी जाना जाता है। यह दिन इसलिए विशेष रूप से मनाया जाता है क्योंकि पोहा खाने में स्वादिष्ट और हेल्दी दोनों हैं। अलग-अलग राज्यों में पोहे को भिन्न नाम से जाना जाता है। मप्र और महाराष्ट्र में इसे पोहे के नाम से जाना जाता है, तो कोई इसे पीटा चावल और चपटा चावल भी कहता है। बंगाल और असम में चीड़ा, तेलगु में अटुकुलू, गुजराती में पौआ के नाम से जाना जाता है। जी हां, पोहा बच्चों से लेकर बूढ़ें यानी हर उम्र के लोग खा सकते हैं। पोहे को जिस तरह से तेल रखकर छौंक लगाया जाता है, वह खाने के स्वाद को बढ़ा देता है। साथ ही इसे जितना सरल विधि से बनाते हैं यह उतना पौष्टिक होता है। वैसे तो पोहे के प्रसिद्धि को लेकर कई सारी कहानियां है।
इस वर्ष जून के महीने में बुधवार, 7 जून को आषाढ़ मास की संकष्टी गणेश चतुर्थी पड़ रही है। मान्यतानुसार इसे कृष्णपिङ्गल या कृष्णपिंगाक्ष संकष्टी चतुर्थी (Krishnapingal Sankashti Chaturthi 2023) के नाम से जाना जाता है। पुराणों के अनुसार पूर्णिमा के बाद आने वाली चतुर्थी को संकष्टी तथा अमावस्या के बाद की चतुर्थी को विनायकी के नाम से जाना जाता है। श्री गणेश विघ्नहर्ता है, अत: चतुर्थी के दिन भगवान उनका पूजन और व्रत किया जाता है। आइए जानते हैं आषाढ़ संकष्टी गणेश चतुर्थी के शुभ मुहूर्त और कथा- आषाढ़ संकष्टी चतुर्थी 2023 के शुभ मुहूर्त : कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी : बुधवार, 07 जून 2023 को चतुर्थी तिथि का प्रारंभ- 06 जून, मंगलवार को 12.50 ए एम से (देर रात) चतुर्थी तिथि का समापन- 07 जून, 2023 को 09.50 पी एम पर। बता दें कि इस बार संकष्टी चतुर्थी का समापन 09.50 पी एम पर हो रहा है तथा तत्पश्चात पंचमी तिथि लग जाएगी। अत: चतुर्थी तिथि के दौरान कोई चंद्रोदय नहीं है। वैसे संकष्टी के दिन चंद्रोदय का समय- 10.50 पी एम पड़ रहा है। 7जून 2023, बुधवार : दिन का चौघड़िया लाभ- 05.23 ए एम से 07.07 ए एम अमृत- 07.07 ए एम से 08.51 ए एम शुभ- 10.36 ए एम से 12.20 पी एम चर- 03.49 पी एम से 05.33 पी एम लाभ- 05.33 पी एम से 07.17 पी एम रात्रि का चौघड़िया शुभ- 08.33 पी एम से 09.49 पी एम अमृत- 09.49 पी एम से 11.04 पी एम चर- 11.04 पी एम से 08 जून को 12.20 ए एम तक, लाभ- 02.51 ए एम से 08 जून को 04.07 ए एम तक। आषाढ़ चतुर्थी व्रत कथा-Ashadh Chaturthi Vrat Katha आषाढ़ मास की चतुर्थी व्रत की कथा के अनुसार द्वापर युग में महिष्मति नगरी का महीजित नामक राजा था। वह बड़ा ही पुण्यशील और प्रतापी राजा था। वह अपनी प्रजा का पालन पुत्रवत करता था। किन्तु संतानविहीन होने के कारण उसे राजमहल का वैभव अच्छा नहीं लगता था। वेदों में निसंतान का जीवन व्यर्थ माना गया हैं। यदि संतानविहीन व्यक्ति अपने पितरों को जल दान देता हैं तो उसके पितृगण उस जल को गरम जल के रूप में ग्रहण करते हैं। इसी उहापोह में राजा का बहुत समय व्यतीत हो गया। उन्होंने पुत्र प्राप्ति के लिए बहुत से दान, यज्ञ आदि कार्य किए। फिर भी राज को पुत्रोत्पत्ति न हुई। जवानी ढल गई और बुढ़ापा आ गया किंतु वंश वृद्धि न हुई। तदनंतर राजा ने विद्वान ब्राह्मणों और प्रजाजनों से इस संदर्भ में परामर्श किया। राजा ने कहा कि हे ब्राह्मणों तथा प्रजाजनों! हम तो संतानहीन हो गए, अब मेरी क्या गति होगी? मैंने जीवन में तो किंचित भी पाप कर्म नहीं किया। मैंने कभी अत्याचार द्वारा धन संग्रह नहीं किया। मैंने तो सदैव प्रजा का पुत्रवत पालन किया तथा धर्माचरण द्वारा ही पृथ्वी शासन किया। मैंने चोर-डाकुओं को दंडित किया। इष्ट मित्रों के भोजन की व्यवस्था की, गौ, ब्राह्मणों का हित चिंतन करते हुए शिष्ट पुरुषों का आदर सत्कार किया। फिर भी मुझे अब तक पुत्र न होने का क्या कारण हैं? विद्वान् ब्राह्मणों ने कहा कि, हे महाराज! हम लोग वैसा ही प्रयत्न करेंगे जिससे आपके वंश कि वृद्धि हो। इस प्रकार कहकर सब लोग युक्ति सोचने लगे। सारी प्रजा राजा के मनोरथ की सिद्धि के लिए ब्राह्मणों के साथ वन में चली गई। वन में उन लोगों को एक श्रेष्ठ मुनि के दर्शन हुए। वे मुनिराज निराहार रहकर तपस्या में लीन थे। ब्रह्माजी के सामान वे आत्मजित, क्रोधजित तथा सनातन पुरुष थे। संपूर्ण वेद-विशारद एवं अनेक ब्रह्म ज्ञान संपन्न वे महात्मा थे। उनका निर्मल नाम लोमश ऋषि था। प्रत्येक कल्पांत में उनके एक-एक रोम पतित होते थे। इसलिए उनका नाम लोमश ऋषि पड़ गया। ऐसे त्रिकालदर्शी महर्षि लोमेश के उन लोगों ने दर्शन किए। सब लोग उन तेजस्वी मुनि के पास गए। उचित अभ्यर्थना एवं प्रणामदि के अनंतर सभी लोग उनके समक्ष खड़े हो गए। मुनि के दर्शन से सभी लोग प्रसन्न होकर परस्पर कहने लगे कि हम लोगों को सौभाग्य से ही ऐसे मुनि के दर्शन हुए। इनके उपदेश से हम सभी का मंगल होगा, ऐसा निश्चय कर उन लोगों ने मुनिराज से कहा। हे ब्रह्मऋषि! हम लोगों के दुःख का कारण सुनिए। अपने संदेह के निवारण के लिए हम लोग आपके पास आए हैं। हे भगवन! आप कोई उपाय बतलाइए। महर्षि लोमेश ने पूछा-सज्जनों! आप लोग यहां किस अभिप्राय से आए हैं? मुझसे आपका क्या प्रयोजन हैं? स्पष्ट रूप से कहिए। मैं आपके सभी संदेहों का निवारण करूंगा। प्रजाजनों ने उत्तर दिया- हे मुनिवर! हम महिष्मति नगरी के निवासी हैं। हमारे राजा का नाम महीजित है। वह राजा ब्राह्मणों का रक्षक, धर्मात्मा, दानवीर, शूरवीर एवं मधुरभाषी है। उस राजा ने हम लोगों का पालन पोषण किया है, परंतु ऐसे राज को आज तक संतान की प्राप्ति नहीं हुई। हे भगवान्! माता-पिता तो केवल जन्मदाता ही होते हैं, किंतु राज ही वास्तव में पोषक एवं संवर्धक होता हैं। उसी राजा के निमित हम लोग ऐसे गहन वन में आए है। हे महर्षि! आप कोई ऐसी युक्ति बताइए जिससे राजा को संतान की प्राप्ति हो, क्योंकि ऐसे गुणवान राजा को कोई पुत्र न हो, यह बड़े दुर्भाग्य की बात हैं। हम लोग परस्पर विचार-विमर्श करके इस गंभीर वन में आए हैं। उनके सौभाग्य से ही हम लोगों ने आपका दर्शन किया हैं। हे मुनिवर! किस व्रत, दान, पूजन आदि अनुष्ठान कराने से राजा को पुत्र होगा। आप कृपा करके हम सभी को बतलाएं। प्रजा की बात सुनकर महर्षि लोमेश ने कहा- हे भक्तजनो! आप लोग ध्यानपूर्वक सुनो। मैं संकटनाशन व्रत को बता रहा हूं। यह व्रत निसंतान को संतान और निर्धनों को धन देता हैं। आषाढ़ कृष्ण चतुर्थी को एकदंत गजानन नामक गणेश की पूजा करें। राजा व्रत करके श्रद्धायुक्त हो ब्राह्मण भोज करवाकर उन्हें वस्त्र दान करें। गणेश जी की कृपा से उन्हें अवश्य ही पुत्र की प्राप्ति होगी। महर्षि लोमश की यह बात सुनकर सभी लोग करबद्ध होकर उठ खड़े हुए। नतमस्तक होकर दंडवत प्रणाम करके सभी लोग नगर में लौट आए। वन में घटित सभी घटनाओं को प्रजाजनों ने राजा से बताया। प्रजाजनों की बात सुनकर राज बहुत ही प्रसन्न हुए और उन्होंने श्रद्धापूर्वक विधिवत गणेश चतुर्थी का व्रत करके ब्राह्मणों को भोजन वस्त्रादि का दान दिया। रानी सुदक्षिणा को श्री गणेश जी कृपा से सुंदर और सुलक्षण पुत्र प्राप्त हुआ। श्रीकृष्ण जी कहते हैं इस व्रत का ऐसा ही प्रभाव हैं। अत: जो व्यक्ति इस व्रत को श्रद्धापूर्वक करेंगे वे समस्त सांसारिक सुख के अधिकारी होंगे तथा उनका घर हमेशा खुशियों से भरापूरा रहेगा। टेक्सास होल्डम हाई कार्ड, 1. बाजार से फल या सब्ज़ी लाने के बाद उन्हें अच्छे से धोएं।
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फूल यूं तो सभी अच्छे होते हैं लेकिन कुछ फूलों की जोड़ियां बड़ी निराली होती है जैसे चंपा, चांदनी और चमेली, आज हम चंपा के फूलों की बात करेंगे। सफेद और हल्के पीले रंग के शेड वाले चंपा के फूलों की सुंगध मनमोहक होती है। इन फूलों को अगर हर सुबह लाकर कांच की प्याली में पानी भर कर रखने से पूरा घर महक जाएगा लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह उपाय आपकी किस्मत भी बदल देगा। 'चम्पा तुझमें तीन गुण- रंग रूप और वास, अवगुण तुझमें एक ही भंवर न आएं पास।' रूप तेज तो राधिके, अरु भंवर कृष्ण को दास, इस मर्यादा के लिए भंवर न आएं पास।। सुबह चम्पा के फूल लाकर प्याली में रखने से आपके जीवन में जो चमत्कार होंगे वे निश्चित रूप से चकित कर देंगे आपको। ऑनलाइन कैसीनो खेल भारत, Edited by navin rangiyal
ओवल के मुख्य क्यूरेटर ली फोर्टिस ने कहा कि भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच बुधवार से शुरू होने वाले विश्व टेस्ट चैंपियनशिप (डब्ल्यूटीसी) फाइनल के लिए पिच उछाल भरी होगी।ओवल की पिच पारंपरिक रूप से उछाल भरी होती है और यह बल्लेबाजी के लिए अनुकूल होती है लेकिन इस बार इसके व्यवहार को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है क्योंकि डब्ल्यूटीसी फाइनल पहला टेस्ट मैच होगा जो कि जून में यहां खेला जाएगा। फुटबॉल सट्टेबाजी भविष्यवाणी 1. बारिश का पानी स्टोर करना: ग्रीन रूफ टेक्नोलॉजी की मदद से बारिश का पानी स्टोर होता है। साथ ही यह टेक्नोलॉजी बारिश के पानी को फिलटर करती है। इस टेक्नोलॉजी की मदद से ग्राउंड वॉटर लेवल मेंटेन रहता है और बाढ़ की समस्या से राहत मिलती है।